1960 में गुजरात अलग राज्य बना। गुजरात की अपेक्षा थी कि जिसके विकास में गुजरातियों का महत्वपूर्ण योगदान है, ऐसी मुंबई गुजरात को मिले अथवा केद्र शासित प्रदेश बने। ऐसा नहीं हुआ। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई महाराष्ट्र में गई और आद्यौगिक विकास की दृष्टि से गुजरात का स्थान देश में आठवें नंबर पर चला गया। इस हताशा से एक प्रतिरोध की भावना उत्पन्न हुई। गुजरात अब महाराष्ट्र के साथ सीधे स्पर्धा कर देश का सर्वोत्कृष्ट औद्योगिक राज्य बनना चाहता था। इसके अलावा उसका छुटकारा भी नहीं था।