• सोमवार, 27 मार्च, 2023
सर्वजन हिताय  
व्यापार हिंदी द्वारा | | Views - 42

लगातार दो वर्ष कोरोना की महामारी और फिर यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से विश्व की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है। क्रूडतेल की भाववृद्धि से आम जनता पर भार पड़ा है। अब विश्व के समृद्ध देशों पर आर्थिक मंदी का बादल घिर गया है। तब अपनी अर्थव्यवस्था के लिए कुछ सूत्रों ने अमंगल भविष्य वाणी कर रहे थे- इन सभी संकटों का निवारण करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब देकर बोलती बंद की है! अब राष्ट्रपतिजी के मंगल अविभाषण को चुनाव प्रचार कहने के बाद बजट को भी चावी घोषणापत्र- होने की आलोचना होती है! लोकहित का कार्य लोकप्रिय बने तो वह स्वागतयोग्य होना चाहिए। इस वर्ष नौ राज्यों और एक केद्र शासित प्रदेश में चुनाव है। आगामी वर्ष में लोकसभा का चुनाव होने से बजट परिणाम आने के बाद प्रस्तुत होगा- उस दौरान अंतरिम खर्च के लिए- वोट आन एकाउंट- लोकसभा में मंजूर होगा। इस वर्ष के बजट के प्रभाव का लाभ तब तक मिलने लगेगा। विपक्ष की चिंता समझी जा सकती है, लेकिन वोट प्राप्त करने के लिए यह बजट डपोरशंख की `रेवड़ी' नहीं है- रेवड़ी बजारियों पर `त्रेवड़ी' है! मात्र वचनों की सौगात नहीं, ठोस प्रस्ताव वचन पालन है! प्रधानमंत्री मोदी का ``स्ट्रेटेजिक प्रहार'' है! 

लोकसभा में बजट प्रस्तुत किया जाए उसके पहले ही प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने कहा था मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में, सिर्फ भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व की नजर हमारे बजट पर है। भाजपा के नेतृत्व के तहत भारत सरकार के लिए भारत फर्स्ट, देशवासी फर्स्ट का ध्येय है और संसद के बजट सत्र में भी यही लक्ष्य और भावना होगी। लोगों की अपेक्षा की पूर्ति के लिए वित्तमंत्री पूरा प्रयास करेंगी, ऐसा मø दृढ़तापूर्वक मानता हूं। हमारी अर्थव्यवस्था के संदर्भ में विश्वभर से आए विश्वसनीय अभिप्राय सकारात्मक प्रोत्साहक संदेश देते हैं ।

वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में ``अमृतकाल'' का प्रथम बजट प्रस्तुत कर कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर है और उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो रही है। वर्ष 2023 के बजट में सर्व समावेश अर्थव्यवस्था के ध्येय के साथ कर की दर के प्रस्तावों में महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित है। जिसका वेतनभोगी- मध्यम वर्ग हर्षपूर्वक स्वागत किया है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने कहा कि अमृतकाल का प्रथम बजट समाज, कृषि क्षेत्र और मध्यम वर्ग की अपेक्षाओं और स्वप्न साकार करने की बुनियाद है। समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण के लिए मध्यम वर्ग महाशक्ति है। हमारी सरकार ने मध्यम वर्ग को सशक्त बनाने के लिए अनेक कदम उठाया है। विकास को गति और नई ऊर्जा देने के लिए बुनियादी आवश्यकता- इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 10 लाख करोड़ आवंटित किया गया है।''

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पहले जब ऐसा कहा कि ``म भी मध्यम वर्ग की हूं और इससे मध्यम वर्ग की उलझन और समस्याओं को जानती हूं'' तब लोगों में बजट में राहत मिलने की आशा जागी थी। निर्मला सीतारमण ने निराश नहीं किया, भारी राहत दी है। मध्यम वर्ग- अर्थात् अधिकांशत: वेतन भोगी वर्ग को आयकर में उल्लेखनीय राहत दी है। इसके लिए वित्तमंत्री को अभिनंदन नहीं धन्यवाद देना चाहिए। केद्र में मोदी सरकार आने के बाद व वर्ष में मध्यम वर्ग के करदाताओं को यह राहत मिली है। निर्मला सीतारमण ने दो दिन पहले ही मध्यम वर्ग को राहत की आशा बधाने के बाद कहा भी था कि अभी तक राहत नहीं दी तो नया कर लगाया भी नहीं! शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर मध्यम वर्ग के वेतन भोगी लोग रहते हैं  उनकी सुविधा- मेट्रो रेल सहित- बढ़ाई गयी! यह भी एक राहत है। इनकी बात शत प्रतिशत सही है, फिरभी सुविधा और वित्तीय राहत दोनों जरूरी है। यह बात स्वीकार कर उन्होंने बजट में करबोझ घटाने की घोषणा की है।

हमारे देश में लगभग 30 प्र.श. लोग ही शहरों में रहते हैं । उनकी वार्षिक आय 5 लाख से 30 लाख तक होती है और वे मध्यम वर्ग की व्याख्या में आते हैं । 30 लाख के उपर की आय वाले सिर्फ तीन प्रतिशत `धनवान' माने जाते हैं! अपने यहां एक दलील हमेशा दी जाती रही है कि मुठ्ठीभर उच्च वर्ग अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक योगदान देते हैं । करदाताओं की संख्या बढ़ाना और करभार घटाना जरूरी है। वित्तमंत्री ने अब इस दिशा में कदम उठाया है।

उल्लेखनीय बात यह है कि अब बस्ती बढ़ रही है और स्थिति सुधरी है तब सरकार अधिक राहत दे सके ऐसा है। इसके साथ सिनियर नागरिकों को भी राहत दी गयी है।

मध्यम वर्ग अर्थात् गरीब भी नहीं और धनवान भी नहीं! सरकार की तमाम योजनाएं गरीब- कल्याण की विनामूल्य अनाज वितरण हो या किसानों को उवर्रक- सब्सिडी, कैश- ट्रांसफर और लोन- माफी- ऐसे तमाम लाभ से मध्यम वर्ग वंचित रहे! मध्यम वर्ग का कोई प्रवक्ता नहीं, कोई यूनियन नहीं। इसमें भी वेतनभोगी वर्ग की स्थिति दयनीय- सरकारी कर्मचारी को पूरा लाभ मिले, महंगाई- भत्ता बढ़े और बोनस भी मिले। अब पुराना- नया पेंशन का विवाद है और विपक्ष की सरकारें केद्र सरकार को घेरने के लिए पुरानी प्रथा को अमल में लाने का वच देती है! निजी क्षेत्र के वेतनभोगी कहां जाएं? महंगाई में राहत देने के लिए अंततोगत्वा कर भार में राहत दी गयी है।

हाल के वर्ष़ों में चुनाव प्रचार में रेवड़ी बाजार शुरू हुआ है! सत्ता में आए तब अमल मे लाने की जिम्मेदारी होगी और सत्ता नहीं मिले तो भी अर्थतंत्र और राजतंत्र `डगमगा' जाता है! ऐसे चुनावी वचनों के बदले केद्रीय बजट में एक साथ बड़ी घोषणा करके वित्तमंत्री ने रेवड़ी बाजार वालों को मात दे दी है! ``रेवड़ी उपर त्रेवड़ी'' भारी पड़ी है!

आयकर में राहत के अलावा बचत योजनाओं की अवधि और सीमा बढ़ाई गयी है, पिछले नौ वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि क्षेत्र को सुधारने और किसानों को लाभ देने के लिए कदम उठाया `राजकीय ग्रहण' कदम- कदम पर आड़े आता रहा फिर भी किसानों के लाभ के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं । इस वर्ष के बजट में भी प्रावधान है, व्यापार- उद्योग की आशा- अपेक्षा को पूरा करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं । समाज के प्रत्येक वर्ग दलित, वंचित, सब पर ध्यान दिया गया है, लेकिन एक मात्र ``गूंगा मध्यम वर्ग'' को अब अवसर मिला है- इसमें भी वेतनभोगी वर्ग पर महंगाई की मार हमेशा पड़ी है। इस बार वित्तमंत्री उदार बनी हैं  और कराधान- बचत योजनाओं मे राहत दी है! इसके अलावा पोशाने योग्य भाव पर आवास मिले इसके लिए प्रधानमंत्री की यजना के लिए भी वित्तीय प्रावधान में 66 प्रतिशत की वृद्धि करके 79 हजार करोड़ आवंटित किया गया है। भारतीय रेलवे के विकास और विस्तारीकरण के लिए 2.40 लाख करोड़ रु. आवंटित किया गया है जो 2013-'14 के आवंटन के अपेक्षा 9 गुना अधिक है। देशभर में लगभग 50 विमान स्थल भी बनाएं जाएंगे। 

कर कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर है और उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो रही है। वर्ष 2023 के बजट में सर्व समावेश अर्थव्यवस्था के ध्येय के साथ कर की दर के प्रस्तावों में महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित है। जिसका वेतनभोगी- मध्यम वर्ग हर्षपूर्वक स्वागत किया है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने कहा कि अमृतकाल का प्रथम बजट समाज, कृषि क्षेत्र और मध्यम वर्ग की अपेक्षाओं और स्वप्न साकार करने की बुनियाद है। समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण के लिए मध्यम वर्ग महाशक्ति है। हमारी सरकार ने मध्यम वर्ग को सशक्त बनाने के लिए अनेक कदम उठाया है। विकास को गति और नई ऊर्जा देने के लिए बुनियादी आवश्यकता- इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 10 लाख करोड़ आवंटित किया गया है।''

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पहले जब ऐसा कहा कि ``म भी मध्यम वर्ग की हूं और इससे मध्यम वर्ग की उलझन और समस्याओं को जानती हूं'' तब लोगों में बजट में राहत मिलने की आशा जागी थी। निर्मला सीतारमण ने निराश नहीं किया, भारी राहत दी है। मध्यम वर्ग- अर्थात् अधिकांशत: वेतन भोगी वर्ग को आयकर में उल्लेखनीय राहत दी है। इसके लिए वित्तमंत्री को अभिनंदन नहीं धन्यवाद देना चाहिए। केद्र में मोदी सरकार आने के बाद व वर्ष में मध्यम वर्ग के करदाताओं को यह राहत मिली है। निर्मला सीतारमण ने दो दिन पहले ही मध्यम वर्ग को राहत की आशा बधाने के बाद कहा भी था कि अभी तक राहत नहीं दी तो नया कर लगाया भी नहीं! शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर मध्यम वर्ग के वेतन भोगी लोग रहते हैं  उनकी सुविधा- मेट्रो रेल सहित- बढ़ाई गयी! यह भी एक राहत है। इनकी बात शत प्रतिशत सही है, फिरभी सुविधा और वित्तीय राहत दोनों जरूरी है। यह बात स्वीकार कर उन्होंने बजट में करबोझ घटाने की घोषणा की है।

हमारे देश में लगभग 30 प्र.श. लोग ही शहरों में रहते हैं । उनकी वार्षिक आय 5 लाख से 30 लाख तक होती है और वे मध्यम वर्ग की व्याख्या में आते हैं । 30 लाख के उपर की आय वाले सिर्फ तीन प्रतिशत `धनवान' माने जाते हैं! अपने यहां एक दलील हमेशा दी जाती रही है कि मुठ्ठीभर उच्च वर्ग अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक योगदान देते हैं । करदाताओं की संख्या बढ़ाना और करभार घटाना जरूरी है। वित्तमंत्री ने अब इस दिशा में कदम उठाया है।

उल्लेखनीय बात यह है कि अब बस्ती बढ़ रही है और स्थिति सुधरी है तब सरकार अधिक राहत दे सके ऐसा है। इसके साथ सिनियर नागरिकों को भी राहत दी गयी है।

मध्यम वर्ग अर्थात् गरीब भी नहीं और धनवान भी नहीं! सरकार की तमाम योजनाएं गरीब- कल्याण की विनामूल्य अनाज वितरण हो या किसानों को उवर्रक- सब्सिडी, कैश- ट्रांसफर और लोन- माफी- ऐसे तमाम लाभ से मध्यम वर्ग वंचित रहे! मध्यम वर्ग का कोई प्रवक्ता नहीं, कोई यूनियन नहीं। इसमें भी वेतनभोगी वर्ग की स्थिति दयनीय- सरकारी कर्मचारी को पूरा लाभ मिले, महंगाई- भत्ता बढ़े और बोनस भी मिले। अब पुराना- नया पेंशन का विवाद है और विपक्ष की सरकारें केद्र सरकार को घेरने के लिए पुरानी प्रथा को अमल में लाने का वच देती है! निजी क्षेत्र के वेतनभोगी कहां जाएं? महंगाई में राहत देने के लिए अंततोगत्वा कर भार में राहत दी गयी है।

हाल के वर्ष़ों में चुनाव प्रचार में रेवड़ी बाजार शुरू हुआ है! सत्ता में आए तब अमल मे लाने की जिम्मेदारी होगी और सत्ता नहीं मिले तो भी अर्थतंत्र और राजतंत्र `डगमगा' जाता है! ऐसे चुनावी वचनों के बदले केद्रीय बजट में एक साथ बड़ी घोषणा करके वित्तमंत्री ने रेवड़ी बाजार वालों को मात दे दी है! ``रेवड़ी उपर त्रेवड़ी'' भारी पड़ी है!

आयकर में राहत के अलावा बचत योजनाओं की अवधि और सीमा बढ़ाई गयी है, पिछले नौ वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि क्षेत्र को सुधारने और किसानों को लाभ देने के लिए कदम उठाया `राजकीय ग्रहण' कदम- कदम पर आड़े आता रहा फिर भी किसानों के लाभ के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं । इस वर्ष के बजट में भी प्रावधान है, व्यापार- उद्योग की आशा- अपेक्षा को पूरा करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं । समाज के प्रत्येक वर्ग दलित, वंचित, सब पर ध्यान दिया गया है, लेकिन एक मात्र ``गूंगा मध्यम वर्ग'' को अब अवसर मिला है- इसमें भी वेतनभोगी वर्ग पर महंगाई की मार हमेशा पड़ी है। इस बार वित्तमंत्री उदार बनी हैं  और कराधान- बचत योजनाओं मे राहत दी है! इसके अलावा पोशाने योग्य भाव पर आवास मिले इसके लिए प्रधानमंत्री की यजना के लिए भी वित्तीय प्रावधान में 66 प्रतिशत की वृद्धि करके 79 हजार करोड़ आवंटित किया गया है। भारतीय रेलवे के विकास और विस्तारीकरण के लिए 2.40 लाख करोड़ रु. आवंटित किया गया है जो 2013-'14 के आवंटन के अपेक्षा 9 गुना अधिक है। देशभर में लगभग 50 विमान स्थल भी बनाएं जाएंगे। 

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