• रविवार, 08 सितंबर, 2024

संयत, प्रगतिउन्मुखी बजट

केद्र का 2024-'25 का पूर्ण बजट संयत और प्रगतिउन्मुखी है। वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था की अनुकूलता का पूरी तरह से उपयोग किया है। उन्होंने मध्यम वर्ग को राहत दी है, राजनीतिक तकाजा का आदर किया है और बेकारी से सुलगती समस्या के लिए समय और धन का आबंटन किया है। लेकिन वह कहीं संतुलन चुककर अधिक वरसी नहीं। परिणामस्वरूप विकासोन्मुखी बजट देने के बाद भी वह बजट घाटे में कमी कर सकी ø

अर्थव्यवस्था कोरोना के असर से बाहर आकर पुन: संगीन विकास की राह पर प्रस्थान कर चुका है। 2023-'24 में अनेक विकासशील देश कठिनाई में गए थे तब भारत ने 8.2 प्र.. का विकास दर्ज किया, जिसका नेतृत्व औद्योगिक क्षेत्र ने किया। बजट घाटे का मूल अनुमान (राष्ट्रीय आय का 5.9 प्र..) की तुलना में 5.6 प्र.. रहा है। अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति डांवाडोल के बावजूद चालू खाते का घाटा घटकर राष्ट्रीय आय का 0.7 प्र.. हो गया है। मुद्रास्फीति (5.5 प्र..) पराजित नहीं हुई, लेकिन मजे में है। विकसित देशों में मुद्रास्फीति नियंत्रित होने से वित्तनीति सरल होने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार बढ़ने और विदेशी पूंजी प्रवाह मजबूत होने के संयोग सर्जित हुए ø

ऐसे संयोगों में बजट में वित्तमंत्री ने रोजगारोन्मुखी विकास को केद्र में रखा है। ढांचागत उद्योगों और सुविधा के लिए 11.11 लाख करोड़ का आबंटन किया गया है जो राष्ट्रीय आय का 3.4 प्र.. है। बजट का अनुमान और अपेक्षा सावधानी से भरा है, जो इसे विश्वसनीय बनाता है। आर्थिक विकासदर का 6.5 प्र.. का अनुमान बहुराष्ट्रीय संस्थाओं की तुलना में कम है। कराधान की आय में 11 प्र.. वृद्धि होने का अनुमान जो गत वर्ष जीतना ही है।

अंतरिम बजट में 2024-'25 का बजट घाटा राष्ट्रीय आय का 5.1 प्र.. रखने का लक्ष्य था अब वित्तमंत्री ने और ऊंचा निशान लगाकर 4.9 प्र.. का लक्ष्य रखा है और आगामी वर्ष यह 4.5 प्र.. की तुलना में कम रहने का आशावाद व्यक्त किया है। सरकार द्वारा बाजार से बांड द्वारा लिया जाने वाला कुल तथा शुद्ध कर्ज गत वर्ष की तुलना में होगा जो कर कसर भरा प्रशासन दर्शाता है। वित्तनीति के निर्माता, देशी-विदेशी निवेशक और रेटिंग एजेंसियों के लिए यह प्रबल अनुकूल संकेत है। एक महत्वपूर्ण नीति विषयक घोषणा अणु बिजली में निजी क्षेत्र को प्रवेश देने के बारे में है। पर्यटन उद्योग को विकास का वाहन बनाने के प्रयास पर ध्यान खींचने वाला है।

बेकारी की समस्या बढ़कर राजनीतिक चुनौती बन गया है, ऐसे में वित्तमंत्री ने संगठित क्षेत्र, रोजगार और कौशल्य में विकास के लिए तीन योजनाएं घोषित की है। संगठित क्षेत्र में नौकरी में दाखिल होने वाले प्रत्येक कर्मचारी को एक महीने के वेतन का सीधा लाभ दिया जाएगा। औद्योगिक इकाई में नए कर्मचारी तथा मालिकों को उनके प्रोविडेंट फंड के योगदान के बदले में चार वर्ष तक प्रोत्साहन दिया जाएगा। सभी क्षेत्र में नए कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड में मालिक को इसका योगदान हर महीने 3000 रु. तक दो वर्ष के लिए लाभ मिलेगा। कौशल्य विकास के लिए 7.5 लाख तक लोन के लिए सरकार गारंटी देगी। स्वदेश में उच्च अध्ययन के लिए 10 लाख रु. तक के लोन पर 3 प्र.. ब्याज सब्सिडी देगी। रोजगार सर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एमएसएमई इकाइयों को व्यवसाय के लिए पूंजी सहजता से सस्ती कीमत पर मिलती रहे उसके लिए अनेक घोषणा की गयी है, लेकिन 45 दिन में पेमेंट संबंधी विवादास्पद प्रावधान यथावत् रहा है। उल्टे इसका अमल अधिक सख्त बनाने का समाचार है। मध्यम वर्ग को आयकर में थोड़ी राहत दी गयी है। नई योजना में स्टøडर डिडक्शन 50,000 से बढ़ाकर 75,000 किया गया है और टैक्स का स्लैब थोड़ा आगे-पीछे किया गया है, लेकिन अपेक्षा से महंगाई में राहत कम है। कैपिटल गेंस में टैक्स को तर्कसंगत बनाने की मांग वित्तमंत्री ने संभाली है, लेकिन करदाता चाहते थे उस अर्थ में नहीं। शार्ट टर्म कैपिटल गेंस पर अब 15 प्र.. के बदले 20 प्र.. अथवा करदाता को लागू होती आयकर की दर पर टैक्स लगेगा। वित्तीय तथा गैर संस्थागत परिसंपत्ति के लिए लांग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स की दर 10 प्र.. से बढ़ाकर 12 प्र.. की गयी है। इसकी मुक्त सीमा एक लाख से बढ़ाकर 1.25 की गयी है, लेकिन इंडेक्सेशन का लाभ हटा लिया गया है इसलिए विशेषकर लंबे समय पहले खरीदा गया सोना या जमीन बेचने वालों को कमरतोड़ टैक्स भरना होगा। कैपिटल गेंस टैक्स सरल हुआ है, लेकिन इसका भार बढ़ा है। मध्यम वर्ग के छोटे खुदरा निवेशकों को एफएंडओ के सट्से में फंसकर बर्बाद होने से रोकने के लिए एसटीटी में अच्छी वृद्धि की गयी है। इसमें किसी की शिकायत करने जैसा नहीं है। आयकर का कानूनी विवाद घटाने के लिए अनेक घोषणा की गयी है। अप्रत्यक्षकर में सोना-चांदी और मोबाइल फोन पर आयात शुल्क घटाना स्वागत योग्य है।

एनडीए के दो पक्ष जनता दल (यू और तेलगूदेशम) मोदी सरकार के लिए महत्वपूर्ण होने से बिहार और आंध्रप्रदेश को बजट में क्या मिलेगा इस पर सबकी नगर थी। सोमवार को ही बिहार की विशिष्ट दर्जे की मांग को ठुकराकर मोदी ने संकेत दिया था कि साथी पक्ष की मनमानी नहीं की जाएगी। बिहार को रास्तों के लिए 26 हजार करोड़ रु. और आंध्र को नई राजधानी बनाने के लिए 15 हजार करोड़ रु. आवंटित किया गया, इसके अलावा दूसरा विकास खर्च भी उनके लिए होगा। संक्षिप्त में विकास के लिए जरूरी धन मिलेगा, लेकिन दिल्ली की तिजोरी पर धाड़ मारने की मनोकामना हो तो भूल जाएं। कई अतिमहत्वपूर्ण मामलों में वित्तमंत्री ने सुधार किया है। इसका कितना पालन होता है यह देखना है। सबसे महत्वपूर्ण वायदा एक वृहद आर्थिक नीति विषयक ढांचा पेश करना है। जिसमें दूरगामी आर्थिक सुधार का समावेश किया गया जाएगा। इस सुधार उत्पादन के सभी घटक (जमीन, श्रम, पूंजी और संयोजन) को समाहित कर लेंगे। सरकार किस प्रकार का सुधार चाहती है इसका थोड़ा संकेत वित्तमंत्री ने दिया है। दूसरा वचन दिवालियापन कानून का अमल अधिक चुस्त बनाया जाएगा। øकों के डूबने वाले धन की वसूली में काफी उपयोगी है, लेकिन स्थापित अपने नाखून और दांत दिखाने में थोड़ा सफल हुए ø इसका अमल करने वाली ट्रिब्युनलों को सक्षम बनाना अतिआवश्यक है। कुल मिलाकर बजट विकासोन्मुखी और राहतदायक ø हालांकि अनेक तरह की अनुकूलता को देखते हुए वित्तमंत्री ने अधिक हिम्मतभरा कदम उठाया होता तो अच्छा होता।