कोटा (राजस्थान) में अनेक विद्यार्थियों की आत्महत्या संपूर्ण देश के लिए चिंता का विषय है। कोटा में देश की इजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए ली जा रही स्पर्धात्मक परीक्षा की कोचिंग का उद्योग फलफूल रहा है। हर वर्ष दो लाख जितने परिक्षार्थी वहां आते हैं और लाखों रुपए की फीस भरते हैं और अपने माता-पिता का सपना साकार करने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत करते हैं वे जिन परीक्षाओं में (इजीनियरिंग कॉलेज के लिए जेईई और मेडिकल के लिए एनईईटीटी) में बैठते हैं वह आजकल कठिन है। गलाकाट स्पार्धा के बाद सौ में से मुश्किल से दस विद्यार्थी पास होते हैं। ऐसी परिक्षाओं में पास होने का अधिकांश विद्यार्थियों का साहस नहीं होता। दूसरी तरफ गरीब और मध्यमवर्ग के हजारों मां-बाप अपना सर्वस्व न्यौछावर कर बड़ी आशा से बच्चों को कोचिंग केद्र भेजते हैं । विद्यार्थी माता-पिता को दिए गए बलिदान को जानते हैं । इसमें से कुछ अपनी प्राकृति सीमा या हताशा तथा अपराध भाव में डूब कर अधिक जानकारी के लिए हमारा ई-पेपर पढ़ें