विकासक्रम के दौरान विशेष रूप से महिलाओं ने वनस्पतिक विविधताओं में से अपनी पसंद के गुणों वाले फसलों के बीजों को चुना और बीजों को संरक्षित और संवर्धित कर उनका घरेलूकरण किया और जातियां विकसित कीं। पिछली एक सदी में, यह काम आधुनिक शोध केंद्रों, सरकार और कंपनियों ने करना शुरू किया, जिसका बाज़ार खड़ा हुआ और `देशी' बीज खतरे में पड़ गए। इसे बचाने के लिए देश में हजारों......