• मंगलवार, 22 अक्टूबर, 2024

लुप्त होने के कगार पर पहुंची साडेली हस्तकला को सूरत ने दिया जीवनदान    

साडेली हस्तकला को जी-20 समिट में किया जाएगा प्रमोट 

आधुनिक डिजिटल युग में अनेक चीजों को भूला दिया गया है। जिसमें सबसे पहले तो प्राचीन अनेक हस्तकलाओं का समावेश किया जा सकता है। जो डिजिटलाइजेशन में लुप्त हुई है अथवा तो लुप्त होने की कगार पर हैं। सैकड़ों वर्ष पुरानी साडेली आर्ट भी ऐसी जो लुप्त होने जा रही हस्तकला है। अनेक प्रकार के लकड़ी के फर्निचर जिसमें से बनाई जाती है वह साडेली हस्तकला को सूरत के पिता-पुत्र की जोड़ी ने जीवीत रखने का प्रयास किया है। सूरतीलाला के प्रयास से इसे प्रोत्साहन मिला है उस तरह साडेली आर्ट को जी-20 समिट के इवेन्ट के कार्यक्रम में प्रमोट कराया जाएगा ऐसी बात सामने आई है।

सदियों पहले चंदन, हाथीदांत से लेकर हिरन के सींग के उपयोग द्वारा तैयार की गई साडेली आर्ट की प्रकृति से महल, हवेली तथा सामान्य लोगों के घर सुशोभित किए जाते थे। सामान्तर के बाद चंदन, हाथीदांत सहित पर सरकारों द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद कानून रूप से फर्निचर बनाने में उपयोगी सागौन और उसके जैसे दूसरी लकड़ी पर साडेली की हस्तकला को आगे बढ़ाया जाता है।