• शुक्रवार, 03 जनवरी, 2025

एक जेनेरिक समस्या  

नेशनल मेडिकल कमिशन को डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाओं का सुझाव देना अनिवार्य बनाया गया है। नहीं तो उन्हें दंड होगा, इतना ही नहीं, उनके लाइसेंस कुछ समय के लिए सस्पेंड हो सकते हैं । कमिशन ने डॉक्टरों को ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं (पेटेंट मुक्त बनी दवाओं जो अन्य कंपनिया बनाकर अपने ब्रांड नाम से बेचती हों) लिखकर देने के लिए भी मना किया है। जेनेरिक यानी ब्रांड नाम बगैर की ऐसी दवा जिसकी संरचना और असर ब्रांडेड दवा के समकक्ष होता है। जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 30 से 40 प्र.श. सस्ती होती हैं । विकसित देशों से विरुद्ध भारत में दवा के बड़े भाग का खर्च मरीज या उसके परिवार को उठाना पड़ता है। परिवारजन की बिमारी में गरीब और मध्यम वर्ग के कुटुंब बरबाद हो गए हैं , ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं । सरकार आरोग्य के उपचार का खर्च घटाना चाहती है। जेनेरिक दवाओं की सिफारिश करने का नियम पहले भी था, लेकिन सजा के प्रावधान न होने से वह दांत और नाखून के बगैर बाघ जैसा था।