• मंगलवार, 22 अक्टूबर, 2024

लोन खारिज करने के लाभ और गैर-लाभ  

भारतीय बैंकों का डूबने वाला लोन (नॉन-परफोर्मिंग एसेट्स-एनपीए) के प्रतिशत में नाटय़ात्मक सुधार देखने को मिला है। उसके ग्रॉस एनपीए का औसत 2017-'18 के 11.20 प्र.श. की चिंताजनक स्तर से घटकर 2022-'23 के अंत में 3.90 प्र.श. हो गया है, जबकि नेट एनपीए 6 प्र.श. से घटकर 1 प्र.श. हो गया है। अब बैंक नया उद्योग स्थापित करने और ढांचागत सुविधा विकसित करने के लिए अधिक मात्रा में Iण प्रदान कर सकते हैं । बैंक और नीतिकार ही नहीं, संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छा समाचार है। 

यह सुधार होने के पीछे का कारण समझना जरूरी है जिससे भविष्य में इस समस्या को पुन: बढ़ने से पहले समाधान किया जा सके। एक प्रत्यक्ष कारण यह है कि बैंकों के कुल Iण में वर्षानुवर्ष होती रही वृद्धि। कुल Iण बढ़ता जाए यानी उसके प्रतिशत के तौर पर एनपीए का औसत छोटा होते जाए। लेकिन उल्लेखनीय है