नरेद्र मोदी नौ वर्ष से अधिक समय से प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने हाल ही में हमें अपनी सरकार की सिद्धियां गिनाई थी। उसमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन उनकी निष्फलताओं का क्या? मुझे लगता है कि यह दो बातों में निष्फल गया है। एक, मोदी सरकार ने शीर्ष के भ्रष्टाचार को दूर किया, लेकिन छोटे-बड़े बाबूओं पर लगाम लगाने में सफलता नहीं मिली। दूसरा, पूंजी निवेश को बढ़ाने में मिली विफलता। पूंजी निवेश कभी राष्ट्रीय आय का 27.5 प्र.श. से उपर नहीं गया और फिलहाल तो वह राष्ट्रीय आय का 15 प्र.श. ही हो गया है, जो भारत जैसे देश के लिए बहुत कम कहा जाएगा।
मोदी ने चीन के प्रशंसक के तौर पर शुरुआत की थी। वे चाहते थे कि निजी निवेश में हम चीन की बराबरी करें, जहां वह 50 प्र.श. है। कई आंकड़ा हालांकि 60 प्र.श. कहा जा सकता है। निजी कंपनियां नई नौकरियों का 60 प्र.श. जितना नौकरी प्रदान करती है, ऐसा कहा जाता है। इसमें से 80 प्र.श. शहरी क्षेत्र में अधिक जानकारी के लिए हमारा ई-पेपर पढ़ें