अमेरिका के लोग देश की
पहचान बरकरार रखने को तत्पर
डोनाल्ड ट्रम्प किसी भी एंगल से आम आदमी नहीं हø।
इसके बावजूद अमेरिका के प्रमुख पद के चुनाव में उनकी विजय धनकुबेरों और वाम एस्टाब्लिशमेंट
के सामने औसतन अमेरिका की विजय है। ट्रम्प ने इतिहास सर्जित कर दिया है। दुनिया भर
के बाम प्रचारक, मुख्य कानून के माध्यमों और एग्जिट पोल को गलत साबित कर उन्होंने डेमोक्रेटिक
पक्ष की कमला हेरिश को निर्णयात्मक शिकस्त दी। अमेरिका के इतिहास में ग्रोवरक्लीवलøड
के बाद ट्रम्प दूसरे प्रमुख हø जो प्रमुख पद के चुनाव में एक बार हार जाने के बाद पुन:
जीते हø। ट्रम्प की विजय सर्वांगीण हø। कुल 538 प्रतिनिधियों की इलेक्टोरल कालेज में
वह 992 वि. 224 सीट जीते। अमेरिका के 50 में से जो 7 राज्य स्वींग स्टेट्स (परिणाम
को झुकाने वाले) माने जाते हø उन सभी में वह विजयी हुए। सामान्य मतदाताओं का मत भी
कमला हेरिश (669 लाख) की तुलना में ट्रम्प को अधिक (719 लाख) मिला। साथ ही साथ उनके
रिपब्लिकन पक्ष ने अमेरिका के सेनेट में भी बहुमत (52/100) प्राप्त किया है और प्रतिनिधि
गृह में भी वह डेमोक्रेटिक पार्टी से आगे है। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में 9 में से
6 जज ट्रम्प द्वारा नियुक्त किए गए हø। इस तरह प्रशासनिक तंत्र, संसद और न्यायतंत्र
भी ट्रम्प के नियंत्रण में आने से उन्हें शासक के तौर पर खुला दौर मिलेगा। अमेरिका
की सूरत बदल जाएगी। चुनाव से पहले अमेरिका की छाप सभी रूप से क्षीण हो रहे महासत्ता,
अस्त-व्यस्त हो रही राज्य व्यवस्था और मूल स्वरूप खो रहे खंडित हो रहे समाज के रूप
में थी। ट्रम्प की विजय ट्रम्प को जनता द्वारा यह छाप पलटने के लिए दिया गया जनादेश
है।
रस्साकस्सी मजबूत लड़ाई, कांटे की टक्कर, नेक-टू-नेक
रेस के तौर पर जाना जाता चुनाव परिणाम इस तरह एकतरफा आया जो बताता है कि प्रसार माध्यमों
को उनका अपने प्रति पूर्वाग्रह है। वे जमीनी सच्चाई या तो देख अथवा पेश नहीं कर सके।
उनका अपना एजेंडा है। अपने खुद को प्रगतिशील मानने लेकिन वास्तव में प्रगति के शत्रु
ऐसे लेफ्ट-लीबरलो में सन्नाटा छा गया है। ऐसा लगता है कि महंगाई, रहिवासियों, युद्ध
और संस्कृति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ट्रम्प लोगों की नब्ज परख सके, जबकि डेमोक्रेट
हवा में उड़ते रहे।
अमेरिका की विकासदर ऊंची है और बेकारी का औसत कम
है, लेकिन सामान्य परिवार कातिल महंगाई से त्रस्त हø। अमेरिका की लगभग प्रत्येक काउंटी
में महंगाई की दर वेतन वृद्धि की दर की तुलना में कम रही है। लाखों परिवारों के लिए
घर खरीदना असंभव हो गया है और क्रेडिट कार्ड का बिल भरना कठिन होते जा रहा है। आर्थिक
असामनता भयंकर है। शीर्ष के 20 प्र.श. लोगों के पास 40 प्र.श. सम्पत्ति है और निम्न
स्तर के 20 प्र.श. लोगों के पास सम्पत्ति है। 75 प्र.श. लोगों का मानना है कि अर्थव्यवस्था
की हालत खराब है और उनका देश गलत दिशा में जा रहा है। बाइडन सरकार ने दक्षिण के सरहद
को खुला कर दिया है। मध्य अमेरिका से दैनिक सैकड़ों गैर कानूनी घुसपैठिए घुस कर अमेरिका
के सिर पर पड़े हø। सामाजिक एकता, ढांचागत सुविधा और सरकारी तिजोरी पर उनका बोझ असह्य
बनता जा रहा है। दुनिया में अमेरिका का वजन कम होते जा रहा है। उनका मेन्युफैक्चरिंग
उद्योग स्पर्धात्मकता खोकर नामशेष होने के कगार पर है। यूक्रेन और गाजा का युद्ध अमेरिका
नहीं रोक सका, न ही वहां अपने हितों की रक्षा कर सका। अंतिम मोर्चे पर सामाजिक-सांस्कृतिक
है। अमेरिका में इस्लाम और वाम विचारधारा की दादागीरी बढ़ रही है। उनकी आलोचना करना
आफत मोल लेने जैसा है। वहां वॉक कल्चर के रूप में पहचानी जाती विचित्र हलचल को पासे
में कर लिया है। इन लोगों का मानना है कि त्री और पुरुष का अंतर प्राकृतिक या नैसर्गिक
नहीं है। उनका कहना है कि जो पुरुष खुद को त्री मानते हø उन्हें सार्वजनिक महिला शौचालयों
का उपयोग करना और खेलकूद स्पर्धा में महिला के रूप में भाग लेने का अधिकार है।
डेमोक्रेटों के पास इन समस्या का कोई समाधान नहीं
है। शायद वे इसे समस्या मानते ही नहीं ट्रम्प ने गैरकानूनी घुसपैठियों को निकालने का
वचन दिया है। उल्लेखनीय है कि लेटिनों हिस्पानिक लोगों ने भी ट्रम्प को समर्थन दिया
है। उन्होंने अमेरिका को पुन: औद्योगिक महसत्ता बनाने का वचन दिया है और कहा है कि
अमेरिका लोगों की जो नौकरियां बाहर के लोग ले जा रहे हø वह हम वापस लाएंगे। युद्ध रोकेंगे
जिससे विश्व की अर्थव्यवस्था और व्यापार की गाड़ी पुन: पटरी पर आए। ट्रम्प के करिस्में
के सामने कमला हेरिश निस्तेज साबित हुई। रंगीन और महिला के रूप में उनकी पहचान सीमित
हो गयी। वास्तविकता यह है कि औसतन अमेरिकन अपने देश को गोरे ख्रिस्तिओं का देश मानते
हø और पहचान बनाए रखने के लिए आतुर हø। उन्हे सामाजिक परिवर्तन चाहिए, लेकिन अपनी शर्त
और अपने रूप से। वामपक्ष की जोहुकुमी और मानवशात्रीय तरकीब उन्हें व्याकुल करती है
यह व्याकुलता अब निकली है।
ट्रम्प का शासनकाल तंग और घटना प्रचुर होगा। गौर
कानूनी निवासियों को निकालने के प्रयास के सामने का भी निवरोध होगा। ट्रम्प यूक्रेन
पर रूस के साथ समाधान करने का दबाव करेंगे। ट्रम्प इस्लामी आतंकवाद और ईरान के शत्रु
हø। इजराइल को उनकी जीत से खुशी मिली है। इजराइल को ईरान के तेल कुओं या अणु केद्रों
पर हमला करने देंगे तो विश्व युद्ध की नौबत आएगी। ट्रम्प माहौल परिवर्तन की वास्तविकता
स्वीकारते नहीं। अमेरिका के सहयोग बगैर माहौल परिवर्तन रोकने के लिए संधियों या प्रयासों
के पीछे हटने की संभावना है। ट्रम्प ने चीन के माल पर 60 प्र.श. और दूसरे देशों के
माल पर 20 प्र.श. शुल्क लगाने की बात की है। यदि ऐसा हुआ तो अन्य देश भी इसका बदला
लेंगे और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का चित्र अधिक डगमगाएगा। ट्रम्प का चीन विरोध भारत
के लिए अनुकूल है, लेकिन पारकी पंचाट में दखल देने की ट्रम्प की नीति को देखते हुए
ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत अमेरिका पर कुछ हद से अधिक भरोसा नहीं कर सकते।
लोकतांत्रिक देश के रूप में चीन के सामने साथी के तौर पर और प्रतिभावान सुशिक्षित निवासी
प्रदान करने वाले देश के रूप में ट्रम्प को भारत की कदर है। हिन्दुओं के प्रति खुलेआम
साहनुभूति दिखाकर उन्होंने अमेरिकन भारतीयों का दिल जीत लिया। शुल्क और निवासियों के
प्रति उनका रुख कुछ लोगों को पसंद नहीं आएगा, लेकिन कुल मिलाकर हेरिश की तुलना में
ट्रम्प की जीत से भारत को अधिक खुश होने जैसा है।